आम आदमी

आम आदमी के सपने:

गाड़ी है बंगला है नौकर हैं चाकर हैं
नहीं कोई कमी है कोई दुःख नहीं हैI
जीवन में पग हर पल ख़ुशी ही ख़ुशी है
नहीं कोई कमी है कोई दुःख नहीं हैI

घर में हम रोटी मक्खन से खाते हैं
बासमती बिरियानी घर पर पकाते हैंI
मन में कोई आस अब बाक़ी नहीं है
नहीं कोई कमी है कोई दुःख नहीं हैI

होली दीवाली मौज़ों से मनाते हैं
पब्लिक स्कूल में बच्चे अब जाते हैंI
घूमने की जगह कोई बची ही नहीं है
नहीं कोई कमी है कोई दुःख नहीं हैII

आम आदमी की हकीकत

नींद खुलते ही मगर हकीकत अलहैदा है
बासी रोटी पर होता घर में रोज़ झगड़ा हैI
खाने की थाली में न चावल न दाल है
पहनने ओढ़ने का भी जुदा नहीं हाल हैI

अम्मा बाऊजी की दवा डाक्टर से लानी है
कमरे की छत टूटी, मरम्मत करानी हैI
पत्नी की साड़ी एक बरस पुरानी है
अब के ले आऊंगा बस यही कहानी है

जीवन संघर्ष है आँखों में नमी है
सपने अधूरे हैं ज़िन्दगी थमी है
ख्वाब बहला दें पर हकीकत डराती है
आम आदमी की नींद क्यों टूट जाती हैI

आम आदमी का इलाज़:

जो भी है सई है!
मैंने पी लई है!
मज़ा आ रई है!
अब सुबह देखेंगे
क्या गलत और
क्या चीज़ सई है!

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2 thoughts on “आम आदमी”

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