(A tribute to co-workers at IAFBA. Please excuse if some one left, he/she may be next)
कर्मी हम आई ऐ एफ बी ऐ के
मेहनत से हम काम हैं करते
कर्मी ये आई ऐ एफ बी ऐ के
आओ कुछ को इनमें से
नाम ‘तनु ‘ है मैडम इनका
एफ ऐ एस का ठेका जिनका
मीटिंग शीटिंग ये करती हैं
जाने और क्या क्या करती हैं
अकाउंटेंट हैं ‘सुदेश गुप्ता’
अकाउंट सेक्शन पता है इनका
कहाँ है गुप्ता कहाँ है गुप्ता
बैंक में होंगे हमें नहीं पता
सीडब्ल्यूएफ ‘अवनीत मिश्रा जी’
अरे लंच नहीं करते, ना जी
ओवरस्मार्ट हैं खुद को समझते
झोला छाप वकील हैं अपने
‘लोन’ ‘एडमिन’ ‘हेमा’ के हवाले
अरे बाप रे कोई बचा ले
ये भी करलो वो भी कर लो
‘हेमा’ रह गयी सब करने को
कोने में बैठे ‘हेमंत’ बाबू
जब बोलें डिस्कवरी चालू
अच्छा मिजाज ये रखते हैं
खुद की बेइज़्ज़ती खुद करते हैं
ई डी पी पर गया जो ध्यान
‘राखी’ ‘सीमा’ करतीं काम
‘दीपक’ ट्रेन से घर है जाता
सनी देओल कहता है चाचा
रिकवरी किंग ‘अनुज कुमार’
क्यों खामोश रहते हो यार
रोहिल्ला ऑफिस की ‘गरिमा’
और बड़ी है इनकी महिमा
‘अक्षय ‘ ‘ललित’ ‘धर्मेंदर’ ‘नीता ‘
आशंकित मन इनका रहता
हालात हमारे कब बदलेंगे
असिस्टेंट मैनेजर जब हम बनेंगे
सी डब्लू ऍफ़ एकाउंट्स ‘श्वेता’
लेडीज ग्रुप की ये हैं नेता
कोने में ‘प्रीती’ बैठी हैं
टेस्ट सदा देती रहती हैं
सी आई एस में ज्ञान भण्डार
कितना बुलवाते हो यार
मोदीजी का पता नहीं ख़ास
हमारा ‘विकास’ है हमारे पास
‘इन्द्रजी’ ‘सचिन’ ‘राजीव’
इस ऑफिस तीन नींव
‘अनित’ ‘रामकरण’ ‘युवराज’
रखें सफाई दिन और रात
‘स्कालरशिप’ डॉक्टर कटोच
पता नहीं क्या क्या लेते सोच
और कसार रह गयी है थोड़ी
सावित्री सत्यवान की जोड़ी
ललित ढौंडियाल कितने सवाल
कौन सा सुर कोण सी ताल
ज्योति मैडम शालिनी मैडम
सर रह गए कम ज्यादा मैडम
‘लाल बहादुर’ तुम्हें सलाम
चाय पानी का रखते ध्यान
‘पूर्णिमा’ ‘प्रिया’ ‘मनीषा’ ‘लीना’
सी पी मिश्रा डोल डाका डीमा
अलग रूप भले जुदा हों रंग
कल्याण भुजा के हम सब अंग
‘दीपक’ ‘अनिल ‘ शान से कहते
भा वा से बे ऐ