बला है तेरी नज़र का यूँ झुक जाना
हुई शाम जैसे सूरज का ढल जाना
हुई शाम जैसे सूरज का ढल जाना
हज़ारों में नहीं तुम हो एक लाखों में
मुश्किल है इस हुस्न की तह ले पाना
तुम चलो तो साथ चले वक़्त और बहार
मेरे गुलशन में कुछ देर ठहर कर जाना
मुद्दत से दिल कर रहा था इंतज़ार
आकर मेरे अरमानों पे करम फरमाना
अब दिल ने खुद मान लिया है तुमको
मेरी ख्वाहिशो की झोली भरते जाना