सुनो आज ‘एक’ की महिमा
वृहद् अनोखा इसका ज्ञान
अंक नहीं यह केवल ‘एक’
गाथा है अत्यंत महान
एक है ईश्वर वही साध्य है
एक सूर्य और एक गगन
एक अनोखी पृथ्वी अपनी
एक चन्द्र संग लगी लगन
एक जन्म मानव पाता है
एक शरीर निभाता साथ
एक मस्तिष्क और एक आत्मा
एक जिह्वा जो करती बात
एक अंग जो सृष्टि रचता
पेट एक हमेशा खाली
एक कोख से शुरू कहानी
एक मृत्यु ने सृष्टि पाली
एक बात मुक्ति की समझो
चंचल मन पर काबू कर लो
एक डगर सच की अपनाओ
एक ईश्वर स्मरण कर लो