पेड़ मैं नीम का उग आया एक मकां के दरवाज़े पर
किसी जोड़े ने मुझको सींचा और दी मैंने छाँव घर पर
मेरी आँखों ने देखा कई पीढ़ियों को बनते बिगड़ते
बढे वो साथ साथ सुख दुःख में भी साथ साथ रहते
बुजुर्गों ने रखा मुझसे रिश्ता जैसे था मैं हिस्सा घर का
मेरी छाँव में बैठ पीते हुक्का लेते फैसला हर तरह का
मगर पिछले हफ्ते नयी पीढ़ी ले आयी घर में नई सोच
बाँट दिए बूजुर्ग कई हिस्सों में घर भी बिकेगा एक रोज़
मैं भी बाहर खड़ा कहीं उनकी निगाहों में खटक रहा हूँ
महँगी गाडी के रस्ते का रोड़ा बना हूँ इसलिए कट रहा हूँ
तरक्क़ी के आगे फीकी प्यार की छाँव रस्ते से हट रहा हूँ
मैं कड़वा नीम का पेड़ तकनीक के आरे से कट रहा हूँ