जीवन की आपाधापी में फुर्सत के पल ढूंढता है दिल
अपने सब कहीं खो गए हैं गैरों में प्यार ढूंढता है दिल
बेहतर जीवन की खातिर हम गांव छोड़ कर आये थे
गाँव के जैसा ही अपनापन यहाँ सोचकर आये थे
वहां बेगाने भी अपने थे यहां अपने भी बेगाने हैं
बेगानी बस्ती में रिश्तेदार कोई ढूंढता है दिल
जीवन की आपाधापी में फुर्सत के पल ढूंढता है दिल
अपने सब कहीं खो गए हैं गैरों में प्यार ढूंढता है दिल
एक हमसफ़र मिला हमें था जो साजिश में खो गया
तब से खोखले रिश्तों से कोमल दिल मैला हो गया
कई दफा समझा कर हारे लाखों बार दुहाई दी
आज भी हर परछाई में उसके निशाँ ढूंढता है दिल
जीवन की आपाधापी में फुर्सत के पल ढूंढता है दिल
अपने सब कहीं खो गए हैं गैरों में प्यार ढूंढता है दिल
कोई नहीं हमदर्द कि जिससे दिल का दर्द बताएं हम
खुद के दर्द का मर्म नहीं फिर किसका दर्द उठायें हम
आदत से मजबूर हुए हैं चोट पे बस हॅंस लेते हैं
ग़म के दरिया में डूबा तिनके का सहारा ढूंढता है दिल
जीवन की आपाधापी में फुर्सत के पल ढूंढता है दिल
अपने सब कहीं खो गए हैं गैरों में प्यार ढूंढता है दिल