मनाओ जश्न कि कोई मर गया
किसी के लिए जगह खाली कर गया
किसी को मगर सवाली कर गया
मनाओ जश्न कि कोई मर गया
काँधे पे था बोझ बोझ उसके शरीर का
बोझ अपनों का और परायी पीर का
हर तरह के बोझ से हो फारिग गया
मनाओ जश्न कि कोई मर गया
भटकन थी उसके जीवन की राह में
कभी दोस्ती कभी दिल की चाह में
किसी की उल्फत में फ़ना होकर गया
मनाओ जश्न कि कोई मर गया
ज़िन्दगी थी बेवफा देखो देगा दिया
मौत की सच्ची वफ़ा में वो चल दिया
जन्मों का होगा साथ इस यकीन पर गया
मनाओ जश्न कि कोई मर गया
लौट न पायेगा अब न सदा दो उसे
कोई किसी का नहीं बता दो उसे
अलविदा कहो राही अपने घर गया
मनाओ जश्न कि कोई मर गया