आये थे हम खाली हाथ
जाना भी है खाली हाथ
फिर कैसा गुरुर
जीवन से पाया सब कुछ
मुट्ठी खाली जीवन के बाद
फिर क्यों गुरुर
बेईमान
हद से ज़्यादा तुझे मिला
हवस के पीछे पागल है
गहने जेवर बंगले गाडी
सब बेईमानी की बदौलत हैं
तू हाथ मले रह जाएगा
औलाद बैठकर खायेगी
कैसा गुरुर फिर क्यों गुरुर
भ्रष्ट
सेवा की खातिर बैठाया
तू मालिक बनकर बैठ गया
अपने ही आका के सर पर
तू बन तलवार लटक गया
भ्रष्ट हथकंडे तेरे
सब यहीं धरे रह जाएंगे
कैसा गुरुर फिर क्यों गुरुर
रिश्वतखोर
नीयत खुद तेरी ठीक नहीं
तू कमी गिनाता गैरों की
काम तो तूने गलत किये
क्यों ज़िम्मेवारी औरों की
दुष्कर्म तेरे एक दिन जरूर
आईना तुझे दिखाएँगे
कैसा गुरुर फिर क्यों गुरुर
पाखंडी
आस्था से खिलवाड़ करे
भक्तों को मुर्ख बनाये तू
ज्ञान का करे गुमान
खोया भोग विलास में तू
खोटे हैं तेरे कर्म और
घर है तेरा बड़ी जेल
कैसा गुरुर फिर क्यों गुरुर
आये थे हम खाली हाथ
जाना भी है खाली हाथ
फिर कैसा गुरुर
जीवन से पाया सब कुछ
मुट्ठी खाली जीवन के बाद
फिर क्यों गुरुर कैसा गुरुर