चौथा स्तम्भ हो तुम गणतंत्र के
तुम हो शान-ऐ-इंडिया !
कब सुधरोगे मीडिया ?
आधे घंटे क़ी न्यूज़ के बीच में
बीस मिनट तुम एड दिखाते
उस पर तुर्रा एक न्यूज़ को
कई कई हो बार दिखाते
ये है शान-ऐ-इंडिया !
कब सुधरोगे मीडिया ?
मनघडंत घटना दिखलाकर
अंधभक्ति का भाव जगाते
हिंसा और रोमांच के द्वारा
कोरी सनसनी तुम फैलाते
वाह रे शान-ऐ-इंडिया !
कब सुधरोगे मीडिया ?
भड़काऊ मुद्दे उछालकर
बड़ी बहस का ढोंग रचाते
बद्तमीज सी पंचायत में
अपनी ढपली तुम बजवाते
ओय होय शान-ऐ-इंडिया !
कब सुधरोगे मीडिया ?
जनता जिनको भूलना चाहे
गढ़े हुए तुम रहस्य दिखाते
प्राइवेसी क़ी वाट लगा दी
केवल टॉयलेट ही बच पाते
कैसी शान-ऐ-इंडिया
कब सुधरोगे मीडिया
सांठगांठ गुंडों से करके
इंटरव्यू उनसे ले आते
नक्सल और आतंकवाद पर
हो सरकार को धमकाते
हो हो शान-ऐ-इंडिया !
कब सुधरोगे मीडिया ?
तेरह तेरह चैनल घेरे
फिर भी सीरियल तुम दोहराते
उस पर भी फिर न्यूज़ चैनल में
सीरियल क़ी हाईलाइट दिखाते
बस करो शान-ऐ-इंडिया !
कब सुधरोगे मीडिया ?
तुम्हें किसी से कोई सबब न
अपना धंधा बस चमकाते
एक मुद्दे पर शोर मचाकर
अगले दिन हो भूल भी जाते
बस बस शान-ऐ-इंडिया
कब सुधरोगे मीडिया
पंद्रह अगस्त या दो अक्टूबर
देशभक्ति के गीत दिखाते
पुरे साल तुम्हें फिर लेकिन
देशभक्त कभी याद न आते
हाय हाय शान-ऐ-इंडिया
कब सुधरोगे मीडिया
काले धन पर बहस करो तुम
पैसे पर तुम खुद मरते हो
अपनी जिम्मेदारी समझो
इससे भला तुम क्यों बचते हो
यो यो शान-ऐ-इंडिया !
कब सुधरोगे मीडिया ?
युवा देश का बदल रहा है
नयी सोच पर चल रहा है
बासी पुराने मुद्दे छोडो
युग अब करवट बदल रहा है
बनो तुम शान-ऐ-इंडिया
सुधर जाओ अब मीडिया