गरीब किसान का बेटा था मैं मेरा भी परिवार था
मजबूरी में बचपन बीता कर्जे में घर बार था
दो बहनों का मैं भाई जैसे तैसे करी पढ़ाई
आगे पढ़ने का मन था पर खर्चे की किल्लत आयी
बापू की लाचारी आगे दो बहनों की थी शादी
ऊपर से हो जाती अक्सर फसलों की बर्बादी
कभी कभी तो दाल रोटी का खाना भी मुहाल था
गरीब किसान का बेटा था मैं मेरा भी परिवार था
एक दिन गाँव में दौड़ लगी सेना में भर्ती निकली
सब दौड़े मैं भी दौड़ा और सफलता अर्जित की
भाग्य का साथ मिला आगे तो मैं भी सैनिक बन गया
घर में मानो खुशियों का कोई चिराग जल गया
माँ बापू की आँखों में खुशियों का रंग अपार था
गरीब किसान का बेटा था मैं मेरा भी परिवार था
सीमा पर तैनात हुआ मुझे फ़र्ज़ पर अपने नाज़ था
अरमान सभी पूरे होंगे यह तो बस आगाज़ था
रात के सन्नाटे के बीच तस्वीरों कई आँखों में थीं
माँ बापू बहनों की खातिर तदबीरें सपनों की थी
सर्दी की बर्फीली हवा ड्यूटी देना दुश्वार था
गरीब किसान का बेटा था मैं मेरा भी परिवार था
तभी धमाका हुआ एक अम्बर से ज्यों बिजली गिरी
गरम खून की धार बही गोली अनेक सीने में लगी
आतंकी हमला है जब कान मेरे आवाज़ पड़ी
मैंने गिरते गिरते राइफल दुश्मन पर खाली कर दी
फिर हुआ शहीद घर का जो इकलौता जिम्मेदार था
गरीब किसान का बेटा था मैं मेरा भी परिवार था
यह गौरव है जो आज मुझे तिरंगे में लपेटा है
याद रहे फौजी भी एक माँ का प्यारा बेटा है
बापू का सहारा है और बहनों का भाई है
पर सब की खातिर उसने जान की बाज़ी लगाई है
मेरी मौत ने चुका तो दिया घर का जो उधार था
आगे लेकिन कौन भरेगा पेट मेरे परिवार का