माँ मैं तुझको मिल न पाया
कैसी है तू जान न पाया
आखिर किस डर की खातिर
सबने मुझको मार गिराया!
मैं तो तेरा ही टुकड़ा था
कोख में तेरी मैं जकड़ा था
खून से जिसको सींचा तूने
आज गटर की राह बहाया
महीनो तक था मुझे संभाला
ज़रा न सोचा कटवा डाला
दिल के इस टुकड़े को तूने
क्यों खंज़र की भेंट चढ़ाया
मुझे मौत की सजा जो दे दी
पाप मेरा ज़रा बतला देती
तेरी गोदी मिली न मुझको
मौत की गोदी में पहुंचाया
माँ बच्चों की जां होती है
धन्य हैं जिनकी माँ होती है
मेरी माँ की ममता देखो
बोटी बोटी क़त्ल कराया
सुख से अब जीवन में रहेगी
पर तू कैसे भूल सकेगी
बलि देकर संतान की अपनी
तूने अपना भाग्य बनाया
माँ में तुझको मिल न पाया
कैसी है तू जान न पाया
आखिर किस डर की खातिर
सबने मुझको मार गिराया!