लम्बा यह इक दौर था जीवन की राह में
कल उड़ चलेगा तू नयी मंज़िल की चाह में
साथी यहां जो बने यहीं छूट जाएंगे
मीत नए कुछ और तुझे मिल ही जाएंगे
नए स्वपन में मग्न हो न भूल जाना तू
वादा था किसी से तेरा उसको निभाना तू
तूने आंधियों में भी दिये जलाए हैं
हुनर से अपने रस्ते के पर्बत डिगाए हैं
हाथों के छालों की कहाँ तूने परवाह की
मुस्कुराती सूरतों पर दिखती तेरी नेकी
आगे भी मुफलिसों के सपने सजाना तू
वादा था किसी से तेरा उसको निभाना तू
सूरज के जैसा तेज़ है तेरे ललाट पर
गूंजती तेरी कीर्ति हर घर-ओ-घाट पर
नेताजी जैसा जोश है गांधी सा है संयम
अपने शौर्य की कथा लिख देगा तू स्वयं
शुभकामनाएं साथ मेरी लेते जाना तू
वादा था किसी से तेरा उसको निभाना तू