भावों की गीली मिटटी में फिर खिल उठी निराली कविता
नवजीवन की नव उमंग भर नित नव स्वप्न दिखाती कविता
सोंधी मिटटी की सुगंध ले रंग हिना से लाई कविता
ओस की बूंदों सी शीतल बन मन शीतल कर आई कविता
सूरज की पहली किरणों से मांग उजाले लायी कविता
तपती धरती के आँचल पर बदली सी घिर आयी कविता
वर्षा की रिमझिम बूंदों में घंटों खूब नहाई कविता
आम के बागों में जा बैठी अमरस भर भर लाई कविता
शब्द के मोती शब्द से जोड़े माला नयी पिरोये कविता
शिशु की सी मुस्कान बिखेरे कान्हा सम मन मोहे कविता
फूलों से श्रृंगार चुराया लो सज धजकर आयी कविता
रत्नजड़ित घूँघट के पीछे दुल्हन सी लजायी कविता
ईश्वर की है वाणी इसमें मटके का है पानी कविता
लोरी गाकर रोज़ सुलाती थपकी देती नानी कविता
डर कर सहम जाये जिस पल देखे दुःख बीमारी कविता
भूख गरीबी देख बिलखती इनके आगे हारी कविता
मन दर्पण के खेल निराले मन से हंसती रोती कविता
आशा का संदेशा देने हर मन टटोलती कविता