कुछ छिन रहा, है या कुछ बनने वाला है
कुछ घट रहा है या नया कुछ घटने वाला है
हो चला है अब अंत कलियुग का
या किi है आरम्भ नए किसी युग का
हमारी नादानियों का है लेखा जोखा
या किया है हमने प्रकृति से कोई धोखा
है परिणाम हमारे किसी जुल्म का
या इंतजाम है किसी नए इल्म का
वक़्त के हाथों में कैद नसीब इंसान का
हुआ आज़ाद तो कहलायेगा ‘मर्द का बच्चा’
वर्ना बन रहेगा टुकड़ा कब्रिस्तान का
न जाने कितने कब्रों की गवाह है ये धरती। युगों युगों का इतिहास है मेरे पास,
मगर हमारा अहंकार तो देखिए
सबको आडम्बर कहते हैं,
और वही करने पर तुले हैं
जो कल लोग कर चुके
और भुगत चुके हैं।
LikeLike