चाँद आज कुछ ठीक था
चांदनी के संग घर में मौजूद था
चेहरे पर चोटों के निशान लिए
मायूस बैठा था मगर ठीक था
चाँद आज कुछ ठीक था
कल की रात वह भूल न पायेगा
एक आवारा बादलों का गिरोह
न बिजली न गर्जना न बारिश
अपने सभी काम छोड़
आसमान में घूम रहा था
पागल लुटेरों की तरह
कोई और घर मिला नहीं तो
उन्होंने चाँद के घर पर ही
हमला बोल दिया
चाँद जो कि कमज़ोर था
इधर उधर भाग रहा था
कभी खुद को कभी
चांदनी को बचाने की
कोशिशें करता हुआ
फिर भी नाकाम रहा
जालिम बादलों ने मगर
कोई लिहाज नहीं किया
इस झपटमारी में
चांदनी का तो पता नहीं
मगर चाँद को कई चोटें आईं
वह टूटा हुआ था बाहर से
और भीतर भी क्योंकि
चांदनी को बेइज़्ज़त होने से
नहीं बचा सका था
वह कमज़ोर था हमेशा से
अब आप ही कहो
जो गोरी के घूंघट उठाने से
ही कहीं छिप जाए
तो वह क्या किसी को बचाएगा
बादलों का पागल झुण्ड
चला तो गया मगर
धमकी देकर गया है कि
किसी को कुछ बताया
तो बहुत बुरा होगा
इसलिए चाँद आज
ठीक तो है मगर मायूस है