रात बरसात की

कल की बारिश में हुई एक शरारत ने फिर
दिल के वीरां तसव्वुर को आबाद किया
टूटी छतरी लिए बूंदों में भीगती
एक हसीना को अपने रूबरू ला दिया

कल की बारिश में हुई एक शरारत ने फिर
एक हसीना को अपने रूबरू ला दिया

फिर वही रेशमी ज़ुल्फ़ों से बाराहा
बेदिली से था पानी टपकता हुआ
फूल से गालों से फिर फिसलते हुए
रुकने की कोशिशें पानी करता हुआ

शाम रंगीन थी ज़िंदा तस्वीर थी
दिल मचलने का मौसम बना ही दिया
कल की बारिश में हुई एक शरारत ने फिर
एक हसीना को अपने रूबरू ला दिया

तेज बारिश की बूंदों से बचते हुए
पास आ जाती थी वो सिमटते हुए
कभी बेचैनी से देखती थी हमें
बिगड़ी छतरी मरम्मत करते हुए

एक लफ्ज़ भी उसने न हमसे कहा
दिल की बस्ती में भूचाल सा ला दिया
कल की बारिश में हुई एक शरारत ने फिर
एक हसीना को अपने रूबरू ला दिया

ज़िन्दगी खेल कैसे दिखा जाती है
कभी ऐसे मुकाम पर ले आती है
दिल की पर्तों पे बरसों की धुल को
ऐसे मंजर दिखा कर हटा जाती है

वक्त के पहिये को बीती यादों में खींच
सोये अरमावोंकोबस जगा ही दिया
कल की बारिश में हुई एक शरारत ने फिर
एक हसीना को अपने रूबरू ला दिया

निशाँ यादों के दिल से हैं जाते नहीं
दिन बदल जाते हैं उम्र ढल जाती है
दिल की तह में दबे रहते हैं सिमटे
तार छेड़ो कहानी फिर बन जाती है

ज़िन्दगी ने थी फिर हमको आवाज़ दी
वर्ना लगता था सब कुछ गँवा ही दिया
कल की बारिश में हुई एक शरारत ने फिर
एक हसीना को अपने रूबरू ला दिया

उसकी तारीफ़ में हम अब क्या कहें
खूबसूरत जहाँ है जता ही दिया
रब का है शुक्रिया कुछ पल के लिए
वक्त की मुश्किलों को हटा ही दिया

नहीं भूलेगी वो रात बरसात की
घर आये तो बटुआ नदारद मिला
कल की बारिश में हुई एक शरारत ने फिर
एक हसीना को अपने रूबरू ला दिया

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