अपने मुकेश की माँ बीमार
बहुत बीमार थी क्योंकि वह गुटखे
की बुरी लत की शिकार थी
तम्बाकू के अधिक सेवन से
माँ के मुँह का कैंसर बढ़ गया
और डॉक्टर ने महंगे
ऑपरेशन की सलाह दी
मुकेश ने अपनी बीवी के हाथों चूड़ियां
बेचकर माँ को बचा तो लिया
मगर कैंसर की वजह से उसकी
माँ की ज़बान यानि मदर टंग चली गयी
अब माँ केवल इशारों में ही
अपनी बात कह सकती थी
शुरुआत में मुकेश को काफी
परेशानी हुई माँ की बात और
ज़रुरत को समझने के लिए
मगर धीरे धीरे उसे माँ की सारी बात
समझ में आने लगी और वह अब
माँ का ख्याल अच्छे से रखने लगा
एक दिन की बात है माँ की पेंशन
के लिएसरकारी फॉर्म भरते हुए
मुकेश के हाथ अचानक से उस
जगह पर आकर रुक गए
जहां मदर टंग का कॉलम था
उसे समझ नहीं आ रहा था कि
वहां पर क्या लिखे हिंदी या
माँ द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली
सांकेतिक भाषा