किस्मत अगर दगा दे तो इंसां बेबस हो जाता है
हवाई यात्रा करते व्यक्ति को कुत्ता खा जाता है
किस्मत अगर मेहरबां है गधा लगे पहलवान है
जग से लोहा लेता पर अपनों से हार जाता है
डॉक्टर का पेशा देखो सबका इलाज रखता है
खुद की बीमारी में लेकिन सब हुनर भूल जाता है
अध्यापक यूँ तो शिक्षा का दीप जलाते हैं
बालक शिक्षक के मगर अधिक नहीं पढ़ पाते हैं
समझदार थे राणा जी होशियार थे शर्मा जी
ज़माने भर के झगड़े बस यूँ सुलझाते वर्मा जी
भाग्य ने साथ छोड़ा तो काम न आई होशियारी
अपनों ने ही तिल तिल लूटा धरी रही समझदारी
घर की मुर्गी दाल बराबर धोती बने रूमाल बराबर
अपने संग छोड़ दें तो जीवन ढोल बिन खाल बराबर