झूठ का सच

सच सच होता है मगर होता है डरावना और कड़वा
झूठ के पाँव नहीं होते मगर झूठे का होता बोलबाला
भले हो उसका मुँह कला मगर रंग झूठ का सफ़ेद है
मेरे लिखने में तारीफ़ है किसकी समझे या मतभेद है

सच्चाई में संघर्ष तो झूठ में सफलता का शॉर्टकट है
सच में अग्निपरीक्षा है जबकि झूठे के सर पर ताज है
साँच को आंच नहीं है तो झूठ की कोई सीमा नहीं है
झूठ पल दो पल का है तो सच का भी बीमा नहीं है

कहते हैं झूठ जो जान बचा ले हज़ार सच से बड़ा है
बस इसी तर्क पर आज सब झूठों का संसार खड़ा है

यारो बस इसी तर्क पर झूठ पर झूठ बोलते जाओ
तरक्की करो तथा जीवन में ऊंचाईयां छूते जाओ

इज़्ज़त मिलेगी शोहरत मिलेगी और मिलेगी पेंशन भी
पेंशन पर भी डबल पेंशन है बात नहीं कोई टेंशन की

न तो पढ़ाई ज़रूरी न इंटरव्यू न इस्तीफ़ा न सस्पेंशन
बेशर्म बनो और रोज़ करो एक नए झूठ का इन्वेंशन
जैसे हिन्दू खतरे में है, सत्तर सालों में देश बिक गया
किसान नहीं हैं खालिस्तानी गोबर सब मर्जों की दवा

राम मंदिर बनेगा तो नौकरी रोजगार व्यापार रोटी
कपड़ा मकान आदि की आवश्यकता नहीं रहेगी
जनता सुख से रहेगी और हर कौवा मोती खायेगा
अच्छे दिन आ जाएंगे क्योंकि राम राज्य आ जाएगा

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