मास्क से ढक गए हैं चेहरे सभी
अब नज़र हुस्न पर ठहर पाती नहीं
दिल के दर पे अब दस्तक होती नहीं
अब धड़क धड़कनों को जगाती नहीं
दौर ऐसा भी था वक्त कुछ और था
दिल मुहब्बत के रंग से सराबोर था
चर्चा ए आम था हुस्न का इश्क़ का
दिल्लगी का गया दौर कुछ और था
लबे रुखसार छू लूँ आमादा है दिल
पर नज़र मास्क के पार जाती नहीं
मास्क से ढक गए हैं चेहरे सभी
अब नज़र हुस्न पर ठहर पाती नहीं
दिल के दर पे अब दस्तक होती नहीं
अब धड़क धड़कनों को जगाती नहीं