मुहब्बत मैं करता हूँ करता रहूंगा
किसी मोड़ पर मैं गलत भी रहूँगा
शिकवा न करना मैं न सॉरी कहूंगा
तुम मेरे अहम् को जो ज़रा थाम लोगी
सांस आख्रिरी तक मैं तुम्हारा रहूंगा
ख्वाहिशें सब तुम्हारी हैं मेरे सर माथे
इन्हें पूरी करूँगा जाऊं चाहे जां से
ऐसे जहां में तुम्हें मैं लेकर चलूँगा
भुला दोगी गम तुम सभी इस जहां के
एक दिन अचानक जो तुम्हें छोड़ जाऊं
अफ़साने दिल के तुम्हें कह न पाऊं
मेरी जुदाई का तुम ज़रा गम न करना
यूँ ही मुस्कुराना तुम ज़रा न बदलना
मैं इस जहाँ में जब भी जनम लूंगा
हर एक जनम में तुम्हें मांग लूंगा