एक लड़की जिसका नाम है सर्मिष्ठा चौधुरी
मैं जानता हूँ उसको मगर मिला नहीं हूँ कभी
नाटक में किरदार थी कलाकार थी कोई और
मगर सर्मिष्ठा को चाहता है दिल मांगता है मोर
तस्वीर से तसव्वुर तक बस उसी का राज है
ख्यालों में बसी है वो देती मुझे आवाज है
हक़ीक़त में कुछ नहीं है तो क्या वो परी है
मिलेगी न कभी मुझे वो सर्मिष्ठा चौधुरी है