हैरां क्यों हो मेरा ये रंग रूप देखकर
पौधा में हरा ही मगर शहर में है बसर
कुछ पत्ते मेरे हरे और कई हैं लाल
राहगीरों ने दे दिया है रूप ये बेमिसाल
हरी लाल हरी लाल जो मेरी चितवन है
गुटखा पान थूकने वालों का करम है
मेरे फल मैं नहीं कोई इंसां ही खायेगा
पान गुटखे का ज़ायका मुफ्त में पायेगा
मुबारक ऐ आदम बस तेरा शुक्रिया है
माँ कहता जिसे उसी को रुसवा किया है