Posted on April 16, 2022 बदलाव झुकी हों मूंछें ज़रा सा ताव ज़रूरी हैरिश्तों में ख़ुलूस ज़रा खिंचाव ज़रूरी हैपत्थर बनकर न रोको रौ दरया कातरक्की के लिए बदलाव ज़रूरी है Advertisement Like this:Like Loading...