बेटी बिन की बाप की जैसे तैसे बड़ी हो गयी
लड़की एक गरीब की इक्कीस की हो गयी
शादी बेटी की मां को अब फ़िक्र हो गयी
कौन बिहायेगा इसको कैसा घर मिलेगा
गाँव बनेगा ठिकाना या फिर शहर मिलेगा
मुफलिसी में माँ बस रोटी ही जुटा पायी है
अपनी बिटिया बस दसवीं तक पढ़ पायी है
बहुत सुन्दर है घर के सब काम जानती है
चाल चलन अव्वल सबका कहा मानती है
जिस घर जाएगी बेटी खुशहाली लाएगी
इश्तेहार दे दो समय से विदा हो जायेगी