अपनी उम्मीद के तिनकों को न बिखरने दूंगा
तेरी खबर आने तक न खुद को मैं मरने दूंगा
मैं मानता हूँ कि कुछ टूट रहा है दिल के अंदर
दम घुट रहा है जुबां बंद है फट रहा है सर
खुली ऑंखें हैं और निगाह सूनी है मेरी
तनहा हूँ भीड़ में भी बस आरज़ू बची है तेरी
आस धीरे से नाम लेने लगी है खुदा का
अहम् लाचार नज़र आता है लुटा सा ठगा सा
ग़म के तूफां न तबाह खुद को करने दूंगा
अपनी उम्मीद के तिनकों को न बिखरने दूंगा
तेरी खबर आने तक न खुद को मैं मरने दूंगा