मुद्दतों से रहता आया हूँ यही घर है मेरा
गन्दी नाली का कीड़ा में मुझसे मत उलझना
बाहर भी अगर दुनिया है तो हो ठेंगे पर मेरे
नाली में बस रहूँगा मैं कहीं नहीं जाऊंगा
मेरे पुरखे यहाँ जन्मे हैं पीढ़ियों की सोच है
अक्ल मुझमें है बहुत हाँ, तुम्हारी में खोट है
मुझे समझते हो क्या में बदल नहीं जाऊँगा
नाली में बस रहूँगा मैं कहीं नहीं जाऊंगा
जबरन निकलकर अगर मुझे नहलाओगे
साबुन शैम्पू से जो मैल मेरा धुलवाओगे
कसम है तुम्हें खुदा की मैं मर जाऊँगा
नाली में बस रहूँगा मैं कहीं नहीं जाऊंगा
आगे ले जाने वाली रोज़ नयी सोच तुम्हारी
मुबारक बड़े बंगले तुम्हें फुलवारी तुम्हारी
अपना घर छोड़कर मैं कहीं नहीं जाऊंगा
नाली में बस रहूँगा मैं कहीं नहीं जाऊंगा
ब्रह्म ज्ञान पेलकर जो रोज़ समझते हो मुझे
अपनी बातों से बस टेंशन दे जाते हो मुझे
क्या सोचते हो क्या मैं बदल जाऊँगा
नाली में बस रहूँगा मैं कहीं नहीं जाऊंगा
नाली गन्दी है मगर मैल इसमें तुम्हारा है
तुम्हारे ऐबों ने ही मेरा जीवन संवारा है
तुम रहोगे मैल होगा नाली भी होगी वहीँ
नाली में बस रहूँगा मैं कहीं नहीं जाऊंगा