Posted on November 23, 2022 राब्ता तुम न जब संग थेख्वाब सब बेरंग थेबेख़ौफ़ मगर घर जाता था मैं अब तुम जो मिले होइतना कुछ है खोने कोकी सिर्फ एहसास ही से डर जाता हूँ मैं राब्ता है तुमसेकि बिन कहे एक लफ्ज़दिल के जज़्बात समझ जाता हूँ मैं AdvertisementLike this:Like Loading...