क्या चाहते हो तुम गुमनाम मर जाऊँ
अच्छा न मिला नाम बुरा क्यों न कमाऊं
क्या चाहते हो तुम गुमनाम मर जाऊँ
क्या चाहते हो तुम गुमनाम मर जाऊं
हांशिये पर रहूं मैं रौशनी में न आऊं
पिलते पिलते नौकरी में हुआ पिलपिला
मेरे साथ जमा नहीं कोई सिलसिला
रोटी दाल में ही उम्र गुज़री है हुज़ूर
रिश्वत का एक रुपईया भी नहीं मिला
सोचता हूँ कोई कांड क्यों न कर जाऊं
अच्छा न मिला नाम बुरा क्यों न कमाऊं
क्या चाहते हो तुम गुमनाम ही मर जाऊं
बापू ने देखे थे मेरे लिए कई ख्वाब
पढूंगा लिखूंगा तो बन जाऊंगा नवाब
क्लेर्की करते करते अक्ल घिस गयी सारी
यार अनपढ़ सारे नेता बन गए जनाब
ऐसे दोस्त का क्यों न चमचा बन जाऊँ
अच्छा न मिला नाम बुरा क्यों न कमाऊं
आम आदमी हूँ हर कोई फांस लेता है
वादा करके फिर न कोई चांस देता है
साबुन तेल शैम्पू और राशन की मंहगाई
सोचो गरीव किस तरह से सांस लेता है
मौका मिले जो कोई स्कैम कर गुज़र जाऊं
अच्छा न मिला नाम बुरा क्यों न कमाऊं
क्या चाहते हो तुम गुमनाम ही मर जाऊँ
हांशिये पर रहूं रौशनी में न आऊँ