कौन हैं ये लोग आखिर कहाँ से चले आते हैं
जो दन्न से आते हैं और सन्न से निकल जाते हैं
धक्कामुक्की में भीड़ को छोड़ बढ़ आते हैं
और देखते ही देखते आगे निकल जाते हैं
और आप बस हाथ मलते हुए रह जाते हैं
कौन हैं ये लोग आखिर कहाँ से चले आते हैं
लाल बत्ती हो या फिर राशन की कोई लाइन
या कोई भी हो सरकारी फायदे की दुकान
खड़े होंगे आप धैर्य से करते हुए इंतज़ार
ये बीच में अपना काम बना फुर्र हो जाते हैं
और आप गुस्से के घूँट पीते हुए रह जाते हैं
कौन हैं ये लोग आखिर कहाँ से चले आते हैं
आप टैक्स भरते हैं ये लोग ऐश करते हैं
सरकारी सभी सेवाओं को ये कैश करते हैं
तिकड़म लगा कर सब ठेके ले जाते हैं
फ्री सभी स्कीमों का ये लुत्फ़ उठाते हैं
और आप सिस्टम को गाली देते रह जाते हैं
कौन हैं ये लोग आखिर कहाँ से चले आते हैं
यही लोग मिलते हैं जी दुकानों बाज़ारों में
आवारा हर भीड़ का हिस्सा होते हैं ये लोग
नेताओं की रैलियों में ये ही लोग दिखते हैं
तलवों पर उनके सर झुकाते हैं ये लोग
अनुशासन का रोना आप रोते रह जाते हैं
कौन हैं ये लोग आखिर कहाँ से चले आते हैं
कौन हैं ये लोग आखिर कहाँ से चले आते हैं
जो दन्न से आते हैं और सन्न से निकल जाते हैं