एक दौर था शोना बाबू की टॉर हुआ करती थी
उनकी स्पोर्ट्स बाइक की भी चौड़ हुआ करती थी
बाइक पर बैठ कर जब वो तेज रफ़्तार जाते थे
लम्बे बाल उनके हवा में उड़ उड़ जाते थे
पीछे की सीट कभी न खाली न गयी उनकी
हसीं दिलरुबाओं से सदा रौनक रहा करती
शोना बाबू की जब से शादी हो गयी है
उनकी और बाइक दोनों की बर्बादी हो गयी है
शोना बाबू अब बाबू मोशाय हो गए हैं
बैल हुआ करते थे अब गाय हो गए हैं
स्पोर्ट्स ख़त्म हुए बाइक पुरानी हो गयी है
आटा चावल धोने का साधन हो गयी है
टौर चौड़ सब छूटी अब भागदौड़ रह गयी है
रेस में आगे रहने की बस होड़ रह गयी है